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Thursday, April 28, 2011

प्रकृति , विकृति ,संस्कृति........

मनुष्य के तीन स्वभाव है :
(1) प्रकृति
(2) विकृति
(3) संस्कृति।


भूख लगे तो खाना प्रकृति है। भूख नहीं लगे तब भी खाना विकृति है और स्वयं भूखे रहकर दूसरों को खिलाना संस्कृति है। भारतीय संस्कृति में अतिथि को देवतुल्य माना गया है, लेकिन आज के मनुष्य की भूख तो इतनी बढ़ गई है वह संस्कृति को ही खाना चाहता है। पहले जब आदमी जंगली था, तो कंदमूल खाता था। फिर जब थोड़ा समझदार हुआ तो अन्न खाने लगा। अब सभ्य हुआ तो रुपए को ही खाने लगा। याद रखना, भूख भोजन से मिटती है, रुपए से नहीं। जो दूसरों की भूख मिटाता है, वह कभी भूखा नहीं रहता। जो प्यासे को पानी पिलाता है, वह कभी प्यासा नहीं रहता।

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