सांझ होने से पहले एक छोटा–सा दीपक जला लेना है।
सांझ तो होगी ही, होनी ही है।
अंधेरा तो घिरेगा ही,
लेकिन दीप हाथ में हो तो अंधेरी रात में भी बीहड़ घाटियां सुगमता से पार की जा सकती है।
यहां सांझ से तात्पर्य मृत्यु से है और दीपक से तात्पर्य धर्म–ध्यान से है।
यदि जीवन में धर्म–ध्यान हो तो मृत्यु भी शुभ हो जाती है।
चिता जल उठे इससे पहले अपनी चेतना जगा लेना।
जो चिता जलने से पहले अपनी चेतना जगा लेते हैं, फिर उनकी चिता कभी नहीं जलती।
वो चिरंतन हो जाते हैं। चेतना जागती है धर्म–ध्यान से।
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