सीने में जलन, आंखों में तूफ़ान-सा क्यूं है. इस शहर में हर शख़्स परेशान-सा क्यूं है..
दिल है तो धड़कने का बहाना कोई ढूंढे, आईना हमें देख के हैरान-सा क्यूं
है. सीने में जलन आंखों में तूफ़ान-सा क्यूं है.’
पिछले 25 सालों में इस गाने की शाश्वतता में कोई बदलाव नहीं आया.
हां, जो बदलाव आया है, वो ये कि अब इसके भाव सिर्फ महानगरों तक सीमित नहीं हैं.
अब छोटे शहरों में बसने वाले लोग भी इस गाने के मर्म को बखूबी महसूस करने लगे हैं
और अपनी जिंदगी को बेरंग होता देखकर शायद ही कुछ कर पाने की स्थिति में हैं.
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