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Monday, May 30, 2011

हर बंदा इसे जरुर पढ़े.......

हर बंदा इसे जरुर पढ़े.......

कुछ दिन पहले की घटना है,

एक सज्जन की मृत्यु पर लोग एकत्र थे,गम का माहोल था अर्थी सज गई लोग उठाने को ही थे इतने में अचानक एक वकील साहब आये और कहने लगे अर्थी उठाने से पहले मरने वाले की वसीयत पढना है,लोगों के मना करने पर उन्होंने कहा मरने वाले की चाहत है की वसीयत यहीं पढ़ी जावे,

लोगों के बिच वसीयत पढ़ी जाने लगी जो इस प्रकार थी...........

मेरी वसीयत ध्यान से सुने,में अपनी कमाई हुई जायदाद जो की यह बड़ा मकान है इसका बंटवारा इस तरह करता हूँ....

इस मकान का ग्राउंड फ्लोर अपने सबसे छोटे बेटे के नाम करता हूँ जिसने इस घर के प्रति पूरी जिम्मेदारी रखी और बीमारी में मेरी सेवा की मेरी दवा दारू का इन्तेजाम किया,और घर का पूरा खर्चा आज भी उठाता है ,

इस मकान का फर्स्ट फ्लोर उससे बड़े बेटे के नाम करता हूँ जो की मेरी सेवा में लगा रहा और घर के प्रति भी जवाबदार रहा उसने अपनी बहन की शादी करने में मेरी मदद की,

इस मकान का सेकण्ड फ्लोर अपनी बेटी के नाम करता हूँ क्योंकि में जानता हूँ उसे अपनी बेटी की शादी के लिए पैसों की जरुरत है,

इस मकान का थर्ड फ्लोर अपनी बीबी के नाम करता हूँ मेरे बाद इस फ्लोर का वह जो चाहे करे.

इस मकान के ऊपर आसमान तक का हिस्सा (जिसकी ज़मीन नहीं हो,हवा में ) अपने सबसे बड़े बेटे के नाम करता हूँ जिसको मेने खूब पढाया लिखाया और उसे पढ़ाने की वजह से ही इस घर की आर्थिक स्थिति ख़राब हुई,उसने इस घर के प्रति कभी जिम्मेदारी का निर्वाह नहीं किया,और शादी करते ही अलग हो गया,कभी इस घर की तरफ मुड कर नहीं देखा,

मै समाज के सभी लोगों से गुजारिश करता हूँ की इस बड़े बेटे को मेरी अर्थी को हाथ न लगाने दिया जाये ताकि उसे और इस तरह के बेटों को शिक्षा मिले कि जो माँ बाप अपना पेट काट काट कर बच्चों को पालते है उनकी भी माँ बाप के प्रति कुछ जवाबदारी है,

सभी लोग सन्न थे,बड़ा बेटा निचे सर करके वहां से जा रहा था,और जो लोग वहां थे वो अपने गिरेबान मै झाँक रहे थे.

मै आप सभी लोगों से पूछना चाहता हूँ,क्या इतना कठोर निर्णय सही है?क्या इससे समाज कुछ सीख लेगा?

मेरा अपना विचार है कि यह बिलकुल सही निर्णय था..............................

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