अच्छी बातें जहां कहीं भी मिलें, स्वीकार करके अपने भीतर उतारनी चाहिए।
लेकिन यह भी ध्यान रखा जाए कि अच्छाई और शांति हमारे भीतर से फिर बाहर निकले
और समूचे समाज में फैले।
यह जब दो-तरफा होगा, तभी इसके परिणाम सही मिलेंगे।
यदि अपने व्यक्तित्व को संपूर्ण बनाना है तो अपने आध्यात्मिक पक्ष को विकसित करना पड़ेगा
और उससे परिचित होना होगा।
इसमें एक बाधा है अहंकार।
अहंकार हमें तोड़ता है, जोड़ता नहीं।
अहंकार को मिटाने से अच्छा है इसे समझा जाए।
बिना इसे समझे यह मिटेगा नहीं।
अहंकार के अंधकार को हटाने के लिए समझ एक दीए का काम करेगी।
अहंकार हटा और हमें अपने भीतर उतरने में सुविधा हुई।
भीतर उतरते ही हमारा सबसे पहला जुड़ाव परमात्मा से होगा।
प्रभु में प्रेम है,
प्रकाश है,
शांति है,
आनंद है और
चेतन है।
यही सब हमारे भीतर आएगा और हमारे व्यक्तित्व के टूटे हुए हिस्से फिर जुड़ जाएंगे।
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