मन में जैसे भाव रहेंगे वैसे चित्र उभर आयेंगे
जीवन की बाजी हारी तो दुनिया में अँधियारा होगा
फिर मत कहना, अंधियारे तो अपनी ताकत दिख लायेंगे.
बेशक पतझड़ आ जाता है पत्ते मुरझा कर गिर जाते
फिर भी वृक्ष खड़ा रहता है क्योंकि आशा लिए हुए है
कोमल पत्ते फिर आयेंगे.
बेशक खूब बवंडर आयें, बेशक धरती भी हिल जाये
फिर भी जीवन की बगियाँ में
सुमन बहुत से खिल जायेंगे.
आशा और निराशाओं के जीवन में कितने क्षण आते
दुःख और सुख की वे दोनों ही रेखाएं अंकित कर जाते
फिर भी तो आशा रहती है,अच्छे दिन फिर से आयेंगे..................
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