हमारे देश में कुछ वेष बड़े सुरक्षित माने जाते हैं।
दुनियाभर के गलत काम करो और इस वेष की खोल में घुस जाओ।
आज कल कुछ साधु संत होने का ढोंग करते है,
दरअसल साधु और संत अलग अलग हैं.....
साधु एक आचरण है, संत व्यवहार है।
साधु तैयारी है, संत पहुंचना है।
साधु शैली है, संत स्वभाव है।
साधु आरंभ है, संत अन्त है।
साधु हर कोई हो सकता है, संत कोई-कोई होता है।
साधु बाहर का मामला है, संत भीतर की बात है।
और सबसे बड़ी बात
साधु वो जो परमात्मा को चाहे और संत वो जिसे परमात्मा चाहे।
यह बड़ा अंतर है साधु और संत में,
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